जिम्मिदारीन याया ओ......
डिही देवारी म बइठे कोयतुर गांव के
तइहा जुग के बात ओ दाई
सियान मन हे बतायें
दियाबान जंगल रहाय
कटाकट रुखवा राये
जगा बनातेंव मन म बिचारे
एक कोयतुर हर आथे
डारा ल खोंच माटी मेर
अर्जी वोहा लगाथे
सुमिरन करथे धरती माटी अऊ
अपन पुरखा नांव के
माटी के जब आदेश पागे
फेर वोही जंगल म आथे
पुरखा ल संग म धरके
रतिहा ऊंहा पहाथे
जगा हा फलही की नाही
मन म हावय बिचारे
सपना सुरूज म सबो हाल
पुरखा हा वोकर बताये
बने बने जब जगा जनाथे
तब रचथे डिही वोहर सिवार बांध के
जंगल चतार खचका डिपरा पाटे
फेर गांव वोहर बसाये
गांव के मालिक गांव बसइया
बुमियार वोहा कहाये
संग म बुटा खुटा चतरइया
दाई बुमियारिन जागा रानी कहाथे
दसो दिशा म दस राव अऊ
पानी म सात कईना के वास बताथे
दाई जिम्मिदारिन बइठे सुघ्घर
खाल्हे म नीम महुआ छांव के
जड़ी बुटी के ज्ञानी खेरो दाई
गांव गांव म जाके रोग राई मिटाये
तोर सम्मान म माता गुड़ी बनाके
गांव के माई तोला बनाये
रोग राई कहीं बिपदा परे ले
गांव हर तोला गोहराथे
दरशबीती, मावली, ठाकुरदाई
भीमा कंडरेंगाल गांव म मान पाथे
बीच खार म भैंसासुर बइठे
खेती पानी ल देखत हे गांव के
12 बानी बिरादरी ल जगा देके बुमियार
सुघ्घर सहकारिता के गांव बसाये
पेन सेवा म सबो के बुता काम अऊ
गांव के रीति नीति पेन पुरखा बताये
बुमियार के पिलउर माटी सेवा करके
गांयता मांझी के पद ल पाथे
गांव म कांही विपदा अनहोनी होगे त
गांव बुमकाल सकलाथे
तोर ऊर्जा समाय हे दाई
डोली छत्तर लाट संखरी पालो म डांग के