छुनुर छुनुर तोर पांव के पइरी बाजे
मन ल ओ रानी मोर मोही डारे
कंचन काया तोर भारी दमकत हे
खोपा म गजरा चंदैनी चमकत हें
बोली तोर सुघ्घर चिरई चहकत हे
मया हा मोर गोरी दिनों-दिन बढ़त हे
होगे हंव बइहा गोरी अब
तोर मया हा उबारे
मिरगीन कस चाल तोर चटक मटक रेंगना
खनके तोर हाथ के पहिरे चुरी कंगना
जीव ले डारे गोरी , तोर सजना संवरना
बनके दुल्हीन आजा गोरी मोर अंगना
तोर मया के बगिया गोरी
मन ल रिझा डारे
✍️नयताम हिरेश्वर
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