गुरुवार, 2 नवंबर 2023

 नानकुन प्रयास...


घुमे आबे ओ गोरी नरहरपुर बाजार,

हाट भराथे मनखे जुरियाथे दिन मंगलवार ।

 

चुरी ले देहूं हाथे बर तोरे,

माथे बर लेहुं टीकली।

पांव बर लेहूं सांटी बिछीया

ढेंठु बर सुतिया पुतरी।

कनिहा म तोर करधन सजाहूं

ले देहूं नवलखिया हार।।


लुगरा पोलखा तोर बर बिसाहूं

सुआ पाखी रंग।

मया पिरीत के गोठ गोठीयावत,

किंजरबो संगे संग।

चना मुर्रा अऊ पेड़ा बर्फी

चुहक लेबो पंडरी खुसियार।


सामान बेंचे बिसाये बर आथें 

मनखे कतको दुरिहा।

दगा नइ देवंव कभू ओ रानी 

खावत हंव मैं किरिया।

आबे जरुर दगा झन देबे

करत रहिहंव इंतजार।।


✍️नयताम हिरेश्वर 

    नरहरपुर उत्तर बस्तर कांकेर

बुधवार, 25 अक्टूबर 2023

आगे फेर चुनई

 गांव शहर म नेता मन के

गोठ देवत हे सुनई,

बने असन नेता चुनव

आगे फेर चुनई,

मतदाता भाई बहिनी मोर 

आगे फेर चुनई।।

 

अपन आप ल जनहितैषी बताथें,

कर्मठ अऊ मिलनसार,

आजकल के नेता मन ल

जानत हे संसार,

चुनइ के बेरा म नेता मन

किंजरथें गांव गांव,

दाई ददा अऊ दीदी भइया

कहिके परथें पांव।

नेता अइसन झन चुनव

जे जनता के करे धुनई।।


पढ़े लिखे नेता चुनव

संविधान के जानकार,

देवा सके जीत के जेहर

तुंहर हक अधिकार ,

शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार के

जेहर करही ध्यान,

अन्याय अत्याचार मिटावय

तइसन बनाव सियान।

तुंहर हक के खातिर जेहर

सरकार ले करे लड़ई।


जल जंगल जमीन बेंचागें

लबरा मन के राज में,

बुनियादी सुविधा तको नइ मिलय

ठीकाना नइहे कामकाज में।

राजनीति के बाजार सजे हे

नेता खड़े हे कतार म ,

सोच बिचार मतदान करव

बनव थोरिक हुसियार न।

मीठ मीठ गोंठ म ऊंकर

झन होहूस फॅ़ंसई।


बने असन नेता चुनव 

आगे फेर चुनई,

मतदाता भाई बहिनी मोर

आगे फेर चुनई,

जागरूक संगवारी मोर

आगे फेर चुनई।।

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022

 जुगुर जागर सुरहूती के दिया करय,

सफो के जिनगी म अंजोर, 

नान्हें - बड़े जम्मो जीव जंतुन

बनय जी सजोर।

बंधाये रहाय सुघ्घर 

मया पीरा के डोर,

सुनता के गाड़ी बइला

रेंगय खोर- खोर।।


सुख छईंहा बगरय चारों खुंट,

हरियर हरियावय सुक्खा

लकड़ी के ठुंठ,

काखरो घर के चुल्हा कभू, 

रहय झन ठाड़े उपास,

समुंद के तीर म बइठके 

कोन्हों झन रहय प्यास।।

दया धरम नंदावय  झन

मनखे ले मनखे जोर।

अंधियारी झन रहय कताहू तीर

देखव जी सबो ओर -छोर।।


बछर भर के परब म जइसे

घर दुवार उजराही

सार होही ये परब जब,

मन म जामे मइल फरियाही

तोर मुहांटी के दिया अंजोर,

दुसर मुंहाटी म जावय।

जुरमिल अंधियारी मेटके

सबो डहर अंजोर बगरावय।।

बगरय दुनिया म जस कीरति

उड़य नांव के शोर।

अपन तन ल जलाके दींया

जग म बगराथें अंजोर।।

 

हांसी खुशी सुख बगरय

कोठी डोली भरय घरो-घर।

नवा फसल के परब देवारी

झूलय धान-कोदो खेती खार।। 

ईसर गउरा के बिहाव सुरहुती

हमर संस्कृति के चिन्हारी

कोठा के सेवा संग खिचरी

खेती किसानी तिहार देवारी।

पुरखौती के नीति नियम

चलत हे लोर के लोर‌।

मेटावय झिन असल अरथ 

येखर जिम्मा हावय तोर मोर।।

बुधवार, 23 जून 2021

दुर्गावती रानी

दुर्गावती रानी आ
५२ गड़ म राज चला
तोर बिना राज करइया
कोन्हों नइहे ओ
तोर असन राज करइया
कोन्हों नइहे ओ।।

चंदेल वंश के तैंहर बेटी
गोंडवंश के महारानी
मरई कुल के कुलवधू तैं
राजा दलपत के रानी 
तोर आघु घुटना टेकिस बइरी
तैं खुब लड़े मर्दानी 
देश धर्म गोंडवाना के खातिर
कर दिये कुर्बानी, दाई
कर दिये कुर्बानी

अदम्य साहसी गुनवती 
ननपन ले होय चिन्हारी
राज काज तैंहा सम्हाले
देखे दुनिया सारी
चल बसे जब राजा दलपत
छोड़ राज्य के जिम्मेदारी
सफेद हाथी सरवन म चढ़हे
कमर म खोंचे कटारी, दाई
कमर में खोंचे कटारी

सुवारथ के सेती एक परजा
अकबर ल भेद बताए
लड़त लड़त आघु बढ़गे रानी
नरइ नरवा के बाढ़ म छेंकाये
अंतिम सांस ले लड़े रानी
गर्दन अऊ आंखी म तीर गोभाये
जियते जियत दुश्मन के हाथ नइ आय
छाती म कटार भोंस देश के मान बढ़ाये, दाई
देश के मान बढ़ाये।।




सोमवार, 14 जून 2021

मैं मालिक हुं

मैं मालिक हुं
इस गोंडवाना बुम की 
भारत देश की।।
मैं मालिक हुं
जल जंगल जमीन की
पर्वत पठारों की।
झर झर करते झरनों की
कल-कल बहती नदियों की।।

तो फिर... 
मेरी ज़मीं पर बहती नदियों की
चांदी जैसी रेत तुम्हारा 
कैसे हो सकता है??
पर्वत पठारों से निकलने वाले
लोहा बाॅकसाइट तुम्हारा
कैसे हो सकता है??
जमीं के गर्भ में छिपे बेशकिमती
चांदी सोना हीरा अभ्रक तुम्हारा
कैसे हो सकता है??

खनिज सम्पदाओं की दोहन के लिए
तुम करोड़ों वृक्ष कैसे काट जाते हो??
लोगों की पुश्तैनी गांव और जमीनें छीन
उन्हें बेघर कैसे कर जाते हो??
तुम्हारा जमीर तुम्हें नहीं धिक्कारता
असंख्य जीवों की हत्यारा कहकर।।

खानापूर्ति के लिए तुमने कानून बनाये
फिर खुद ही नियम कानूनों की
धज्जियां उड़ाते हो।
सब कुछ तो छिन लिये मुझसे
संविधान के विरूद्ध जाकर।।
पर कभी मिटा नहीं पाओगे वजुद मेरा
मेरी मालिकीयत की गवाही
ये धरती प्रकृति देगी
देश की मालिक होने का गौरव मेरा
छिन नहीं पाओगे।
क्योंकि कल भी मैं मालिक था
और आज भी 
मैं मालिक हुं।।
✍️ नयताम हिरेश्वर

सिलगेर बीजापुर १७/०५/२१

प्रकृति की शांत वादियों में
पसरा है मातम जंगलों के अंदर
कैसा है खेला विकास का
आज पुछता है बस्तर।।

बीहड़ जंगलों में जहां सुर्य की किरणें
जद्दोजहद के बाद पहुंच पाती है,
आदिवासियों की गांवों में 
आसानी से पुंजीपति कैसे पहुंच जाती है।।
लूट ले जाना चाहते हैं सबकुछ
अमूल्य खनिजों पर है तुम्हारी नजर
कैसा है खेला विकास का
आज पुछता है बस्तर।।

एक ही देश के अंदर रहते हैं
फिर सीमाओं सा तारों का क्यों घेरा है
स्वच्छंद विचरते थे जहां 
आज वहां कैम्पों का क्यों डेरा है।।
पुछ न सके कोई सवाल इसलिए
यहां शिक्षा का है निम्न स्तर
कैसा है खेला विकास की
आज पुछता है बस्तर।।

५वीं अनुसुची पेसा कानुन में
ग्रामसभा को है सर्वोच्च अधिकार
फिर क्यों ग्रामसभा के बगैर
भुमि अधिग्रहण और असंवैधानिक
कार्य करती है सरकार।।

रेलाओं के गीत गुंजते जहां

आज लहुलुहान है बस्तर

कैसा है खेला विकास का

आज पूछ्ता है बस्तर।।


नयताम हिरेश्वर

नक्सली बनते नहीं हैं

नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

शहरों से दूर जंगलों में रहते 
समाज के शांत जीवन जीने वाले
सरल स्वभाव आदिवासी मुलनिवासी 
अक्सर जब  सताये जाते हैं
उनके ही जमीन से जबरन
उन्हें हटाये जाते हैं तब
पुर्वजों की जमीन को बचाने
लामबंद हो हथियार उठाते हैं।।
छीन जाती है जीने का साधन
तब नक्सली बनने मजबुर हो जाते हैं
नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाते फोर्स
फर्जी मुठभेड़ में लोग मारे जाते हैं
शिक्षित युवा बेरोजगार बैठें 
आउटसोर्स से स्थानीय पद भरे जाते हैं
वनोपज लाते खेतों में काम करने वाले
गोलियों से इनके मारे जाते हैं
पहनाकर नक्सली कपड़े लाशों को
फिर माओवाद बताये जाते हैं।।
नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

बहन बेटियों की आबरु जब
सुरक्षाबलों द्वारा लुट लिये जाते हैं
अधिकारों के लिए आवाज उठाते लोग
जबरन गिरफ्तार कर लिए जाते हैं
फंसाकर झुठे मामलों में
कोर्ट कचहरी की चक्कर लगवाते हैं
न्याय नहीं मिलता निर्दोषों को
तब अदालतों से खिन्न हो जाते हैं
भ्रष्ट व्यवस्थाओं से टुट चुके लोगों का
नक्सली फायदा उठा जाते हैं।।
नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

नयताम हिरेश्वर