सोमवार, 14 जून 2021

नक्सली बनते नहीं हैं

नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

शहरों से दूर जंगलों में रहते 
समाज के शांत जीवन जीने वाले
सरल स्वभाव आदिवासी मुलनिवासी 
अक्सर जब  सताये जाते हैं
उनके ही जमीन से जबरन
उन्हें हटाये जाते हैं तब
पुर्वजों की जमीन को बचाने
लामबंद हो हथियार उठाते हैं।।
छीन जाती है जीने का साधन
तब नक्सली बनने मजबुर हो जाते हैं
नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाते फोर्स
फर्जी मुठभेड़ में लोग मारे जाते हैं
शिक्षित युवा बेरोजगार बैठें 
आउटसोर्स से स्थानीय पद भरे जाते हैं
वनोपज लाते खेतों में काम करने वाले
गोलियों से इनके मारे जाते हैं
पहनाकर नक्सली कपड़े लाशों को
फिर माओवाद बताये जाते हैं।।
नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

बहन बेटियों की आबरु जब
सुरक्षाबलों द्वारा लुट लिये जाते हैं
अधिकारों के लिए आवाज उठाते लोग
जबरन गिरफ्तार कर लिए जाते हैं
फंसाकर झुठे मामलों में
कोर्ट कचहरी की चक्कर लगवाते हैं
न्याय नहीं मिलता निर्दोषों को
तब अदालतों से खिन्न हो जाते हैं
भ्रष्ट व्यवस्थाओं से टुट चुके लोगों का
नक्सली फायदा उठा जाते हैं।।
नक्सली बनते नहीं साहब
नक्सली बनाये जाते हैं।।

नयताम हिरेश्वर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें