प्रकृति की शांत वादियों में
पसरा है मातम जंगलों के अंदर
कैसा है खेला विकास का
आज पुछता है बस्तर।।
बीहड़ जंगलों में जहां सुर्य की किरणें
जद्दोजहद के बाद पहुंच पाती है,
आदिवासियों की गांवों में
आसानी से पुंजीपति कैसे पहुंच जाती है।।
लूट ले जाना चाहते हैं सबकुछ
अमूल्य खनिजों पर है तुम्हारी नजर
कैसा है खेला विकास का
आज पुछता है बस्तर।।
एक ही देश के अंदर रहते हैं
फिर सीमाओं सा तारों का क्यों घेरा है
स्वच्छंद विचरते थे जहां
आज वहां कैम्पों का क्यों डेरा है।।
पुछ न सके कोई सवाल इसलिए
यहां शिक्षा का है निम्न स्तर
कैसा है खेला विकास की
आज पुछता है बस्तर।।
५वीं अनुसुची पेसा कानुन में
ग्रामसभा को है सर्वोच्च अधिकार
फिर क्यों ग्रामसभा के बगैर
भुमि अधिग्रहण और असंवैधानिक
कार्य करती है सरकार।।
रेलाओं के गीत गुंजते जहां
आज लहुलुहान है बस्तर
कैसा है खेला विकास का
आज पूछ्ता है बस्तर।।
नयताम हिरेश्वर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें