पर्रा-बिजना माढ़े रहिगे
खुंटी म मऊर टंगाये रहिगे ।
लाकडाउन म सबो बुता थिरागे
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे ।।
गड़े मड़वा खड़े रहिगे
कोठी के धान कुटाये रहिगे ।
दार चाऊंर म देखतो रुसी परगे
बिहाव के जोरा धरे रहिगे ।।
बाजा के बयाना देवागे,
दार चांऊर जम्मो निमरागे ।
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे।।
लुगरा कपड़ा जम्मो लेवागे
बखरी के कइचा हरदी कोड़ागे ।
करसा कैलोरी बिसाये रहिगे
दोना पतरी किलाये रहिगे ।।
घर दुवारी लिपागे, बिहाव घलो नेवतागे
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे ।।
बेटी बेटा के बिहाव किस्सा रहिगे
आंखी के सपना आंसू के हिस्सा रहिगे।
दाई ददा संसो करत रहिगे
लगिन मढ़ाये के अगोरा देखत रहिगे ।।
चईत म लगिन नइ माढ़ीस,
येदे अक्ति घलो लकठागे ।।
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे।।
उक्त पंक्ति ऐसे घरों को समर्पित है जिन्होंने शादी की पुरी तैयारी की हैं और नेवता भी भेज चुके हैं, मड़वा गड़ चुका है लेकिन येन वक्त में लाकडाउन हो जाने से सब तैयारी धरा रह गया, और वे लोग अगोरा(इंतजार) में है कि कोरोना संकट टल जाये और शादी की रस्म हंसी खुशी पुरी कर सकें।।
जोहार सृजनकर्ता
✍️ नयताम हिरेश्वर
खुंटी म मऊर टंगाये रहिगे ।
लाकडाउन म सबो बुता थिरागे
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे ।।
गड़े मड़वा खड़े रहिगे
कोठी के धान कुटाये रहिगे ।
दार चाऊंर म देखतो रुसी परगे
बिहाव के जोरा धरे रहिगे ।।
बाजा के बयाना देवागे,
दार चांऊर जम्मो निमरागे ।
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे।।
लुगरा कपड़ा जम्मो लेवागे
बखरी के कइचा हरदी कोड़ागे ।
करसा कैलोरी बिसाये रहिगे
दोना पतरी किलाये रहिगे ।।
घर दुवारी लिपागे, बिहाव घलो नेवतागे
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे ।।
बेटी बेटा के बिहाव किस्सा रहिगे
आंखी के सपना आंसू के हिस्सा रहिगे।
दाई ददा संसो करत रहिगे
लगिन मढ़ाये के अगोरा देखत रहिगे ।।
चईत म लगिन नइ माढ़ीस,
येदे अक्ति घलो लकठागे ।।
अऊ ऐसो बर बिहाव के गोंठ सिरागे।।
उक्त पंक्ति ऐसे घरों को समर्पित है जिन्होंने शादी की पुरी तैयारी की हैं और नेवता भी भेज चुके हैं, मड़वा गड़ चुका है लेकिन येन वक्त में लाकडाउन हो जाने से सब तैयारी धरा रह गया, और वे लोग अगोरा(इंतजार) में है कि कोरोना संकट टल जाये और शादी की रस्म हंसी खुशी पुरी कर सकें।।
जोहार सृजनकर्ता
✍️ नयताम हिरेश्वर

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