बुधवार, 22 अप्रैल 2020

गंज दिन होगे

न मड़वा गड़ांय
न एक जगा मनखे सकलांय
मोहरी के मीठ तान अऊ
बिहाव बाजा के धुन सुने
गंज दिन होगे....

न एको ठन बिहाव के पाती
न दिखय कखरो बराती
बिहाव में जाय अऊ 
पंगत म बैठके खाय
गंज दिन होगे.....

न कहांचो अवई न जवई
अब्बड़ दिन होगे देखे गांव गंवई
संगी संगवारी संग हांसी ठिठोली अऊ
सियनिन दाई मन के गोठ बोली
गंज दिन होगे......

मनखे जिंहा हे वहिंचे छेंकागे
घर म खुसरे खुसरे जीव अकबकागे
रोगही कोरोना के सेती मनखे धंधागे
सगा सोदर संग भेंट होए
गंज दिन होगे.......

✍️नयताम हिरेश्वर

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