मुलनिवासियों पर ज़ुल्म आखिर कब तक होता रहेगा,
असमानता अन्याय की पीड़ा छाती में लेकर , आदिवासी आखिर कब तक ढ़ोता रहेगा,
70 साल का बुढ़ा हो चला देश की आजादी , लेकिन
अपने ही देश में स्वछंद जीवन के लिए, मुलवंश आखिर कब तक रोता रहेगा।
फर्जी नक्सली मुठभेड़ में मरता जा रहा है आदिवासी,
नक्सली बताकर आदिवासियों का,
फर्जी इनकाउंटर आखिर कब तक होता रहेगा।।
सुरक्षित नहीं मासुम यहां लुट लिए जाते हैं बहन बेटियों की आबरू,
स्त्रियों की इज्जत से खिलवाड़ आखिर कब तक होता रहेगा।।
कारपोरेट जगत के लिए देश में
उजाड़ दिए जाते हैं वन,
विकास के नाम पर विस्थापन,
आदिवासियों का आखिर कब तक होता रहेगा।।
संरक्षित रखा है जिसने जंगल जमीन,
बेघर करते जा रहे हैं गांव उनका छीन
अपने अधिकारों से वंचित वो आखिर कब तक होता रहेगा।।
सम्मान से जीवनयापन का अधिकार संविधान में दिया है
मुलवासियों के विकास पर बना कानूनों का कब किसने पालन किया है,
मुलवंशजो के साथ भेदभाव आखिर कब
तक होता रहेगा।।
हक अधिकार की बात करो तो जेलों में ठुंसे जाते हैं,
कैद कर निर्दोष आदिवासियों को खुब प्रताड़ित किए जाते हैं।
न्याय की आस में दर दर की ठोकरें खाते लोगों पर अन्याय आखिर कब तक होता रहेगा।।
मिटाने गरीबी ,अशिक्षा, असमानता,
मिला आरक्षण,प्रतिनिधित्व का अधिकार
शिक्षा व्यवस्था ठप्प इनके क्षेत्रों में,
उच्च पदों पर कैसे पहुंचेगा इनका परिवार।
निजीकरण हो चला है शिक्षा का पुरे देश में
एक समान शिक्षा से दूर आदिवासी आखिर कब तक होता रहेगा।।
हर 5-10 साल में सरकार बदले जाते हैं,
बदहाली दूर करने आदिवासियों की, जोर शोर से झुठे वायदे किए जाते हैं,
आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझ, भावनाओं से मजाक आखिर कब तक होता रहेगा।।
पुछना चाहता हुं मैं सत्ता पर बैठने वालों को,
कब रोकोगे तुम अन्याय अत्याचार की शैतानी चालों को,
कब तक होती रहेगी दरिंदगी मासुमों से,
आखिर कब तक दर्द लिखते रहेंगे वे आंसुओं से,
न्याय की गुहार लगाते कब तक अदालतों के चक्कर काटेंगे ,
एक ही देश में न्याय को टुकड़ों में कब तक बांटेंगे।
न्याय न्याय की रट लगाते पीड़ीत,
अन्याय तले मृत आखिर कब तक होता रहेगा।।
मृत आखिर कब तक होता रहेगा।।
मुलनिवासियों पर ज़ुल्म आखिर कब तक होता रहेगा।
कोयतुरों पर अन्याय आखिर कब तक होता रहेगा।।
✍️ नयताम हिरेश्वर
असमानता अन्याय की पीड़ा छाती में लेकर , आदिवासी आखिर कब तक ढ़ोता रहेगा,
70 साल का बुढ़ा हो चला देश की आजादी , लेकिन
अपने ही देश में स्वछंद जीवन के लिए, मुलवंश आखिर कब तक रोता रहेगा।
फर्जी नक्सली मुठभेड़ में मरता जा रहा है आदिवासी,
नक्सली बताकर आदिवासियों का,
फर्जी इनकाउंटर आखिर कब तक होता रहेगा।।
सुरक्षित नहीं मासुम यहां लुट लिए जाते हैं बहन बेटियों की आबरू,
स्त्रियों की इज्जत से खिलवाड़ आखिर कब तक होता रहेगा।।
कारपोरेट जगत के लिए देश में
उजाड़ दिए जाते हैं वन,
विकास के नाम पर विस्थापन,
आदिवासियों का आखिर कब तक होता रहेगा।।
संरक्षित रखा है जिसने जंगल जमीन,
बेघर करते जा रहे हैं गांव उनका छीन
अपने अधिकारों से वंचित वो आखिर कब तक होता रहेगा।।
सम्मान से जीवनयापन का अधिकार संविधान में दिया है
मुलवासियों के विकास पर बना कानूनों का कब किसने पालन किया है,
मुलवंशजो के साथ भेदभाव आखिर कब
तक होता रहेगा।।
हक अधिकार की बात करो तो जेलों में ठुंसे जाते हैं,
कैद कर निर्दोष आदिवासियों को खुब प्रताड़ित किए जाते हैं।
न्याय की आस में दर दर की ठोकरें खाते लोगों पर अन्याय आखिर कब तक होता रहेगा।।
मिटाने गरीबी ,अशिक्षा, असमानता,
मिला आरक्षण,प्रतिनिधित्व का अधिकार
शिक्षा व्यवस्था ठप्प इनके क्षेत्रों में,
उच्च पदों पर कैसे पहुंचेगा इनका परिवार।
निजीकरण हो चला है शिक्षा का पुरे देश में
एक समान शिक्षा से दूर आदिवासी आखिर कब तक होता रहेगा।।
हर 5-10 साल में सरकार बदले जाते हैं,
बदहाली दूर करने आदिवासियों की, जोर शोर से झुठे वायदे किए जाते हैं,
आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझ, भावनाओं से मजाक आखिर कब तक होता रहेगा।।
पुछना चाहता हुं मैं सत्ता पर बैठने वालों को,
कब रोकोगे तुम अन्याय अत्याचार की शैतानी चालों को,
कब तक होती रहेगी दरिंदगी मासुमों से,
आखिर कब तक दर्द लिखते रहेंगे वे आंसुओं से,
न्याय की गुहार लगाते कब तक अदालतों के चक्कर काटेंगे ,
एक ही देश में न्याय को टुकड़ों में कब तक बांटेंगे।
न्याय न्याय की रट लगाते पीड़ीत,
अन्याय तले मृत आखिर कब तक होता रहेगा।।
मृत आखिर कब तक होता रहेगा।।
मुलनिवासियों पर ज़ुल्म आखिर कब तक होता रहेगा।
कोयतुरों पर अन्याय आखिर कब तक होता रहेगा।।
✍️ नयताम हिरेश्वर

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