सोमवार, 20 अप्रैल 2020

जाना जाना हे भाई मोर, छोड़  ये संसार ,जाना जाना हे
जाना जाना हे यार, छोड़ ये संसार, जाना जाना हे
महुं ल जाना हे तहुं ल जाना हे
ये तो हावय माया बाजार, जाना जाना हे

चारे दिन के ये जिनगी हे,सबो संग हंस
गोठीयाले
आही बुलावा तैं चले जाबे, जीयत म नाम कमाले
दुरलभ हावय ये जिंदगानी
मानुष तन नइतो मिलय दुबार।।
जाना जाना हे

बड़ भाग्य हावय हमर जी पाये हन मानुष चोला
व्यर्थ के बुता काम म बर्बाद झन कर कहात हंव तोला
जन्म देवइया के मान बढाले
उही मन हे जीवन आधार।।
जाना जाना हे

झन बन तैं कखरो दुशमन बइरी, झन कर चुगली चारी
सबो संग मिल जुल के रहे भाई, येतो जिनगी दिनचारी
मया बढ़ाले प्रीत बंधाले
इही हावय जीवन म सार।। जाना जाना हे

चीज जोरे, महल खेती खार बनाये ज़िनगी भर करे कमाई
आही बुढ़ापा जांगर खंगही फेर कोन्हो नइ तो भांही
सहारा बन जा दीन दुखी के
नयताम हिरेश्वर कहात हे यार।। जाना जाना हे

जाना जाना हे यार, छोड़ ये संसार, जाना जाना हे
महुं ल जाना हे तहुं ल जाना हे,
ये तो हावय माया बाजार। जाना जाना हे

✍️ नयताम हिरेश्वर

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