जुल्म के साये में,लब खोलेगा कौन!
हम सब चुप रहे तो, बोलेगा कौन??
रोज हो रहे अन्याय पर चुप्पी साध लेंगे सब,
तो अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोलेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
मासुम हो रहे यहां दरिंदगी का शिकार
बहन बेटियों के साथ रोज हो रहा बलत्कार।
जालिमों से डरकर सब छुप जायेंगे
तो दरिंदों का राज खोलेगा कौन,
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
आर्थिक गुलामी की ओर बढ़ रहा है देश
पर्यावरण विहीन होता जा रहा है परिवेश।
सत्तासीनों से डर जाये सब तो
देश बचाने संकट मोल लेगा कौन ।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
निजीकरण हो चला है, शिक्षा और स्वास्थ्य का
बिक रही ट्रेनें , हवाई अड्डे, नहीं बचेगा कुछ अपने हाथ का
चुपचाप सब तमाशा देखते रहे,
तो निजिकरण के विरुद्ध चुप्पी तोड़ेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
औद्योगिकीकरण के नाम कटते जा रहे वन ,
विकास के नाम गांवों का होता जा रहा विस्थापन।
एक एक कर खत्म होते जंगल को बचाने
औद्योगिकीकरण छोड़ेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
निडरता के संग न्याय के लिए,
संघर्ष की ओर जीवन मोड़ेगा कौन।
हर कोई टुटकर बिखर जाये
तो टुकड़ों को जोड़ेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
जुल्म के साये में लब खोलेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन??
✍️नयताम हिरेश्वर ✍️
हम सब चुप रहे तो, बोलेगा कौन??
रोज हो रहे अन्याय पर चुप्पी साध लेंगे सब,
तो अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोलेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
मासुम हो रहे यहां दरिंदगी का शिकार
बहन बेटियों के साथ रोज हो रहा बलत्कार।
जालिमों से डरकर सब छुप जायेंगे
तो दरिंदों का राज खोलेगा कौन,
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
आर्थिक गुलामी की ओर बढ़ रहा है देश
पर्यावरण विहीन होता जा रहा है परिवेश।
सत्तासीनों से डर जाये सब तो
देश बचाने संकट मोल लेगा कौन ।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
निजीकरण हो चला है, शिक्षा और स्वास्थ्य का
बिक रही ट्रेनें , हवाई अड्डे, नहीं बचेगा कुछ अपने हाथ का
चुपचाप सब तमाशा देखते रहे,
तो निजिकरण के विरुद्ध चुप्पी तोड़ेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
औद्योगिकीकरण के नाम कटते जा रहे वन ,
विकास के नाम गांवों का होता जा रहा विस्थापन।
एक एक कर खत्म होते जंगल को बचाने
औद्योगिकीकरण छोड़ेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
निडरता के संग न्याय के लिए,
संघर्ष की ओर जीवन मोड़ेगा कौन।
हर कोई टुटकर बिखर जाये
तो टुकड़ों को जोड़ेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन।।
जुल्म के साये में लब खोलेगा कौन।
हम सब चुप रहे तो बोलेगा कौन??
✍️नयताम हिरेश्वर ✍️

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें